यह 8 जुलाई 2023 का करेंट अफेयर्स है। सरकारी नौकरी के लिए होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में ये महत्वपूर्ण सवाल-जवाब की बेहतर तैयारी के लिए डेली करेंट अफेयर्स के 10 सवाल-जवाब यहां बता रहे हैं।
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1. किस देश के सेमी-ऑटोनोमस प्रांत ‘जंजीबार’ में IIT का पहला विदेशी कैंपस स्थापित करने को MoU साइन हुआ?
In which country’s semi-autonomous province ‘Zanzibar’ MoU was signed to set up the first overseas campus of IIT?
a. फ्रांस
b. तंजानिया
c. बेलारूस
d. युगांडा
Answer: b. तंजानिया
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2. किस IIT का पहला विदेशी कैंपस (तंजानिया के जंजीबार में) खोलने के लिए MoU साइन हुआ?
Which IIT signed MoU to open its first overseas campus (in Zanzibar, Tanzania)?
a. IIT मद्रास
b. IIT बॉम्बे
c. IIT कानपुर
d. IIT दिल्ली
Answer: a. IIT मद्रास
तंजानिया
– राजधानी : डोडोमा
– राष्ट्रपति : डॉ. हुसैन अली मिविन्यी
– मुद्रा : तंजानिया शिलिंग
– पड़ोसी देश : केन्या, रवांडा, बुरुंडी, DRC, जांबिया, मालावी, मोजांबिक
जंजीबार
– जंजीबार, तंजानिया का एक द्वीप है।
– यह तंजानिया का सेमी-ऑटोनोमस प्रोविंस (अर्ध-स्वायत्त प्रांत) है।
– इसकी अपनी एक सरकार है, जो तंजानिया के अधीन है।
– इसके राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली मिविन्यी हैं।
– यह MoU भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की तंजानिया यात्रा के दौरान 6 जुलाई 2023 को साइन हुआ।
– दोनों देशों के शिक्षा अधिकारियों ने MoU पर साइन किए।
– इसके तहत तंजानिया के शहर जंजीबार में IIT मद्रास का कैंपस स्थापित किया जाएगा।
– इस कैंपस में अक्टूबर 2023 से ही पाठ्यक्रमों की शुरुआत हो जाएगी।
– इस कैंपस में एडमिशन के नियम IIT मद्रास तय करेगा और संस्थान के जरिए ही डिग्री दी जाएगी। इसके अलावा IIT मद्रास की इस कैंपस को लेकर रणनीतियां तैयार करेगा।
– भारत सरकार का यह कदम 2020 में आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भी जुड़ा है।
पहली भारतीय यूनिवर्सिटी कौन है, जिसने विदेशी कैंपस खोला
– NFSU (नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी) {राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय}
– इस यूनिवर्सिटी ने युगांडा के शहर जिंजा में अप्रैल 2023 को कैंपस खोला था।
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3. किस अंतर्राष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2023 में सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसे भारत ने खारिज कर दिया?
Which international court ruled in favor of Pakistan on Indus Water Treaty in July 2023, which was rejected by India?
a. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ)
b. परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA)
c. इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट (ICC)
d. परमानेंट कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल जस्टिस
Answer: b. परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA – स्थायी मध्यस्थता न्यायालय)
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4. स्थाई मध्यस्थता अदालत (PCA) ने पाकिस्तान की अपील पर किन भारतीय प्रोजेक्ट पर सिंधु जल संधि से संबंधित सुनवाई करने का फैसला सुनाया, जिसे भारत ने अवैध बताते हुए खारिज किया?
On the appeal of Pakistan, the Permanent Court of Arbitration (PCA) has decided to hold a hearing on which Indian project related to the Indus Water Treaty, which India rejected as illegal?
a. किशनगंगा पनबिजली परियोजना / Kishanganga Hydro Electric Project
b. रतले पनबिजली परियोजना / Ratle Hydro Electric Project
c. इंदिरा सागर पनबिजली परियोजना / Indira Sagar Hydroelectric Project
d. a और b दोनों
Answer: d. a और b दोनों (किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजना)
– ये दोनों परियोजनाएं कश्मीर में हैं। पाकिस्तान इन हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है।
– पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA) पहुंच गया था। उसने इस मुद्दे पर सुनवाई की अपील की थी और इसका विरोध भारत ने किया था और कहा कि PCA को मध्यस्थता का अधिकार नहीं है।
– लेकिन जुलाई 2023 में PCA ने फैसला सुनाया कि सके पास पनबिजली के मामले पर नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच विवाद पर विचार करने का ‘अधिकार’ है। वह इस मामले की मध्यस्थता करेगा और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है।
– तब भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि स्थायी मध्यस्थता अदालत में ‘अवैध’ कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए उसे मजबूर नहीं किया जा सकता है।
पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA) के बारे में
– हिन्दी में इसे स्थायी मध्यस्थता न्यायालय कहते हैं।
– स्थापना : 1899 (1st हेग पीस कांफ्रेंस के दौरान)
– सदस्य देश : 122
– मुख्यालय : द हेग, नीदरलैंड
– मुख्यालय द हेग में उसी बिल्डिंग में है, जहां इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) है।
– यह नॉन UN इंटरगर्वनमेंटल ऑर्गेनाइजेशन है। यह संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी नहीं है, बल्कि इसे संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक (observer) का दर्जा है।
– यह एक एडमेनिस्ट्रेटिव ऑर्गेनाइजेशन, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और जांच और सुलह करवाना है।
– यह सदस्य देशों, इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन या प्राइवेट पार्टियों के बीच अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के विवादों को हल (resolve) करने के लिए मध्यस्थ न्यायाधिकरण (arbitral tribunal) की सेवाएं प्रदान करता है।
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क्या है सिंधु जल समझौता?
– भारत और पाकिस्तान ने सितंबर 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में सिंधु-तास समझौता किया था।
– इस समझौते के तहत पश्चिमी नदियों यानी झेलम, सिंधु और चिनाब का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया और इन नदियों के 80 फीसदी पानी पर उसका हक है। भारत को इन नदियों के बहते हुए पानी से बिजली बनाने का अधिकार है, लेकिन पानी को रोकने या नदियों की धारा में बदलाव करने का अधिकार नहीं है
– पूर्वी नदियों यानी रावी, सतलुज और ब्यास का नियंत्रण भारत के पास है और इन नदियों पर वह पनबिजली आदि परियोजनाएं बना सकता है।
किशनगंगा और रतले प्रोजेक्ट पर क्या विवाद?
– सिंधु जल संधि के इस प्रावधान (पश्चिमी नदियों) के कारण, भारत ने रतले और किशनगंगा परियोजना को रन ऑफ द रिवर प्रोजेक्ट के रूप में डिजाइन किया है।
– रन ऑफ द रिवर हाइड्रो पावर के संचालन में, जल भंडारण के उद्देश्यों के लिए जलाशयों का निर्माण नहीं किया जाता है और ऊंचाई से पानी के प्राकृतिक प्रवाह का उपयोग, बिजली उत्पादन के लिए सूक्ष्म टर्बाइनों को चलाने के लिए किया जाता है।
– लेकिन पाकिस्तान इसका भी विरोध कर रहा है।
– पाकिस्तान की शिकायत है कि भारत सिंधु नदी पर जो बांध बनाता है उससे उसके यहां तक पहुंचने वाले पानी में कमी आएगी। उसकी 80 फीसदी खेती की सिंचाई इसी नदी पर निर्भर है।
किशनगंगा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट
– किशनगंगा या नीलम (पाकिस्तान के लिए) झेलम नदी की एक सहायक नदी है।
– भारत ने इस नदी पर, जम्मू और कश्मीर में 330 मेगावाट की क्षमता वाली रन ऑफ द रिवर नदी परियोजना का निर्माण किया है।
रतले हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट
– यह जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर बनाई जा रही रन ऑफ द रिवर प्रोजेक्ट है।
– 2013 में पाकिस्तान सरकार ने इस परियोजना पर आपत्ति जताई थी, उसका कहना था कि यह सिंधु जल संधि का उल्लंघन है।
– 2017 में विश्व बैंक ने भारत को उस परियोजना को शुरू करने की अनुमति दी जिसका पाकिस्तान ने विरोध किया था।
पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA) में मामला कैसे पहुंचा?
– वर्ष 2015 में पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा (J&K) और रातले (J&K) जलविद्युत परियोजनाओं पर अपनी आपत्ति जताई थी।
– साथ ही जांच के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति का अनुरोध विश्व बैंक से किया।
– वर्ष 2016 में पाकिस्तान ने बिना चर्चा के इस अनुरोध को वापस भी ले लिया।
– साथ ही प्रस्ताव दिया कि मध्यस्थता का स्थायी न्यायालय (Permanent Court of Arbitrage) उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए।
– पाकिस्तान की यह एकतरफा फैसले, विवाद का कारण बनते गए।
– भारत हमेशा से कहता रहा है कि वह स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में शामिल नहीं होगा। इसके पीछे भारत का तर्क है कि सिंधु जल संधि के ढांचे के तहत विवाद की जांच पहले से ही एक तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा की जा रही है ऐसे में किसी भी मध्यस्थता न्यायालय में मुद्दे की सुनवाई की जरूरत नहीं है।
– पाकिस्तान का यह कदम, सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) के अनुच्छेद IX का उल्लघंन भी कर रहा था।
– भारत ने मध्यस्थ अदालत का विरोध करते हुए तर्क दिया कि सिंधु जल संधि के अनुसार मध्यस्थ केवल वर्ल्ड बैंक हो सकता है। संधि में भारत-पाकिस्तान और वर्ल्ड बैंक के अलावा किसी और के बारे में प्रावधान नहीं है। इसलिए पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA) में सुनवाई अवैध है।
PAC का फैसला
– जुलाई 2023 में PCA ने फैसला सुनाया कि इसके पास पनबिजली के मामले पर नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच विवाद पर विचार करने का ‘अधिकार’ है। वह इस मामले की मध्यस्थता करेगा और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है।
– तब भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि स्थायी मध्यस्थता अदालत में ‘अवैध’ कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए उसे मजबूर नहीं किया जा सकता है।
क्या पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन का फैसला बाध्यकारी है?
– नहीं. जब भारत ने इस आगे की सुनवाई के लिए हिस्सा लेने से इनकर कर दिया है, तो यह मध्यस्थ अदालत की सुनवाई का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
क्या भारत सिंधु जल संधि से बाहर हो सकता है?
– इस संधि से अलग होने का दोनों देश के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
– लेकिन इस संधि के अनुच्छेद 12(4) में संधि को समाप्त करने की प्रक्रिया बताई गई है।
– यह संधि समाप्त करने के लिए दोनों देशों को मसौदा तैयार करना होगा।
– इस पर दोनों देश को साइन करना होगा।
– इसका अर्थ है कि इस संधि को कोई एक देश समाप्त नहीं कर सकता।
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5. किस पड़ोसी देश के क्रिकेटर तमीम इकबाल ने सन्यास की घोषणा के अगले ही दिन वहां के PM के कहने पर फैसला वापस ले लिया?
Tamim Iqbal, the cricketer of which neighboring country, took back his decision the very next day after announcing his retirement, at the behest of the PM there?
a. पाकिस्तान
b. म्यांमार
c. बांग्लादेश
d. श्रीलंका
Answer: c. बांग्लादेश
– बांग्लादेश के वनडे कप्तान तमीम इकबाल ने एक ही दिन में अपने संन्यास के फैसले को वापस ले लिया।
– उन्होंने रिटायरमेंट वापसी का फैसला 7 जुलाई 2023 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के कहने पर लिया है।
आलोचनाओं से आहत होकर लिया था संन्यास
– दरअसल, वर्तमान में अफगानिस्तान की टीम बांग्लादेश के दौरे पर है। टीम को तीन वनडे मैचों की सीरीज के पहले मैच में हार का सामना करना पड़ा था।
– इस हार के बाद इकबाल की कप्तानी की आलोचना की जा रही थी। जिसके बाद तमीम इकबाल ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस में वनडे इंटरनेशनल से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी।
– हालांकि अब अपने फैसले को बदलते हुए कहा कि वे खेलेंगे।
– तमीम ने बांग्लादेश के लिए 37 वनडे में कप्तानी की है। उन्होंने टीम को 21 मुकाबलों में जीत दिला चुके हैं।
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6. विश्व चॉकलेट दिवस (world chocolate day) कब मनाया जाता है?
When is world chocolate day celebrated?
a. 7 जुलाई
b. 8 जुलाई
c. 9 जुलाई
d. 10 जुलाई
Answer: a. 7 जुलाई
– विश्व चॉकलेट दिवस पहली बार वर्ष 2009 में मनाया गया था।
– माना ये भी जाता है कि लोगों ने 7 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय चॉकलेट दिवस के रूप में मनाना इसीलिए शुरू किया क्योंकि यह वह दिन था जब चॉकलेट को पहली बार 1550 में यूरोप में पेश किया गया था।
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7. FIH हॉकी प्रो लीग 2022-23 की चैंपियन टीम का नाम बताएं?
Name the champion team of FIH Hockey Pro League 2022-23?
a. भारत
b. नीदरलैंड
c. स्पेन
d. जर्मनी
Answer: b. नीदरलैंड
– इस हॉकी लीग को नीदरलैंड की पुरुष टीम यह खिताब दूसरी बार जीत लिया।
– इस चैंपियनशिप में भारतीय पुरुष हॉकी टीम चौथे स्थान पर रही।
– भारत के कप्तान हरमनप्रीत सिंह हैं।
FIH हॉकी प्रो लीग 2022-23 की टॉप 5 टीम
1. नीदरलैंड
2. ब्रिटेन
3. बेल्जियम
4. भारत
5. स्पेन
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8. ताइवान ने भारत में तीसरा ‘आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र’ किस शहर में खोलने का ऐलान किया?
Taiwan has announced to open the third ‘Economic and Cultural Center’ in India in which city?
a. पटना
b. लखनऊ
c. कोलकाता
d. मुंबई
Answer: d. मुंबई
ताइवान
– ऑफिशियल नाम : रिपब्लिक ऑफ चाइना (ROC)
– राजधानी : ताइपे
– प्रेसिडेंट : त्साई इंग-वेन
– मुद्रा : न्यू ताइवान डॉलर
(नोट – चीन का आधिकारिक नाम : पिपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना)
– ताइवान और भारत के बीच राजनयिक संबंध नहीं है। इसकी वजह है कि भारत, चीन की ‘वन चाइना पॉलिसी’ मानता है।
– दुनिया के बहुत सारे देशों के साथ भी ऐसा ही है।
– ऐसे में ताइवान तमाम देशों में ‘ताइपेई इकॉनमिक एंड कल्चर सेंटर’ स्थापित करता है।
– दूतावास ना होने की स्थिति में ये सेंटर ताइवान के दूतावास की तरह काम करते हैं।
– भारत में पहली बार दिल्ली में 1995 में ‘ताइपेई इकॉनमिक एंड कल्चर सेंटर’ खोला था।
– यह कार्यालय दूतावास की तरह काम करता है।
– दूसरा सेंटर चेन्नई में 2012 में स्थापित हुआ, जो वाणिज्य दूतावास (काउंसिलेट) की तरह काम करता है।
मुंबई को क्यों चुना ताइवान ने ?
– वर्ष 2022 में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभरा है।
– 2023 में भारत सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गया है।
– दुनिया भर के देशों के लिए भारत निवेश के लिए बड़ा जगह है।
– मुंबई देश की वित्तीय राजधानी और बड़ा बंदरगाह भी है।
– अमेरिका, जापान, ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों ने अपना वाणिज्य दूतावास मुंबई में बनाया है।
भारत-ताइवान में 7 अरब डॉलर का व्यापार
– चीन और ताइवान के बीच झगड़े के बीच दोनों देशों के बीच व्यापार भी चलता है।
– तावाइन की कंपनियों की सेमीकंडक्टर की फैक्ट्री चीन में है।
– अब ताइवान चाहता है कि वह अपनी इंडस्ट्री चीन से भारत में शिफ्ट करे। इसलिए भी मुंबई का सेंटर महत्वपूर्ण है।
– 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार दोनों देशों में करीब 7 अरब डॉलर का व्यापार है।
– इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनों के उपकरणों के क्षेत्र में सबसे ज्यादा है।
– ताइवान के कुल विदेशी व्यापार का मात्र 0.9 फीसदी व भारत का 0.8 फीसदी।
– ताइवान भारत में निवेश करने वाला 32वें नंबर पर है।
– ताइवान सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के सामान व मशीनरी का उत्पादन करता है।
– दुनियाभर में तीन खरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स का बाजार है।
– इसमें 500 से 600 अरब डॉलर का बाजार सेमीकंडक्टर का है।
– सेमीकंडक्टर के कुल वैश्विक बाज़ार के 65 प्रतिशत हिस्से का उत्पादन अकेले ताइवान करता है।
चीन – ताइवान का विवाद क्या और क्यों है?
– ताइवान का आधिकारिक नाम Republic of China (ROC) है।
– जबकि चीन का आधिकारिक नाम People’s Republic of China है।
– पहले ताइवान, चीन का हिस्सा था। यहां दो मुख्य राजनीतिक दल थे – चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी और कांविंग तान पार्टी।
– चीन के बड़े हिस्से पर कांविंग तान पार्टी का कब्जा था।
– दोनों पार्टियों एक दूसरे के खिलाफ लड़ रही थी। इसी को चीन में सिविल वॉर (1927 – 1949) कहा जाता है।
– सिविल वॉर के अंत में चीन के बड़े हिस्से पर कम्युनिस्ट पार्टी का कब्जा हो गया।
– उस वक्त कम्युनिस्ट पार्टी के लीडर माओ जेडोंग (माओ त्से तुंग) थे।
– दूसरी पार्टी कांविंग तान को भागना पड़ा और वे ताइवान पहुंच गए।
– कांविंग पार्टी के लीडर च्यांग काई-शेक थे।
– उस वक्त कम्युनिस्टों की नौसेना की ताकत न के बराबर थी। इसलिए माओ की सेना समंदर पार करके ताइवान पर नियंत्रण नहीं कर सकी।
– उसी के बाद ताइवान ने खुद को चीन के तौर पर अलग देश घोषित कर दिया। इसके पहले प्रेसिडेंट चांग काई शेक बनें।
– चीन ताइवान पर दावा करता है और कहता है कि वह उसी का एक हिस्सा है।
– लेकिन ताइवान खुद को अलग देश बताता है।
– शी जिनपिंग ने 2019 में साफ कर दिया कि वो ताइवान को चीन में मिलाकर रहेंगे। उन्होंने इसके लिए ‘एक देश दो सिस्टम’ का फॉर्मूला दिया। ये ताइवान को स्वीकार नहीं है और वो पूरी आजादी और संप्रभुता चाहता है।
भारत सहित ज्यादातर देशों का डिप्लोमेटिक संबंध नहीं
– चीन के दबाव में ही भारत सहित ज्यादातर देशों का राजनयिक संबंध (Diplomatic relations) ताइवान से नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र में चीन
– सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद चीन के रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर च्यांग काई शेक ने 1945 में यूनाइटेड नेशंस चार्टर पर सिग्नेचर किया था।
– इसी दौरान UN सिक्योरिटी काउंसिल के पांच परमानेंट मेंबर्स में एक चीन भी बनाया गया।
– वर्ष 1949 में जब च्यांग काई-शेक अपने 20 लाख समर्थकों के साथ ताइवान चले गए, तब भी आधिकारिक रूप से ताइवान ही चीन के तौर पर संयुक्त राष्ट्र में था।
– लेकिन वियतनाम वॉर में जब अमेरिकी सैनिक बुरी तरह फंस गए, तब 1971 में वर्तमान चीन को संयुक्त राष्ट्र मान्यता मिली।
– चूकि चीन और सोवियत संघ वियतनाम में एक गुट को हथियार पहुंचा रहे थे और गुरिल्ला युद्ध कौशल में माहिर किया था, इसलिए अमेरिका के लिए हालत खराब हो गई थी।
– माना जाता है कि एक डील के तहत अमेरिका ने चीन को सपोर्ट किया और 1971 में यूनाइटेड नेशंस में ताइवान की जगह वर्तमान चीन को असली चीन की मान्यता मिली और सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बना।
– हालांकि चीन के ऐतराज के बावजूद अमेरिका ताइवान को हथियारों की सप्लाई करता रहा।
– अमेरिका भी दशकों से वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है, लेकिन ताइवान के मुद्दे पर अस्पष्ट नीति अपनाता है।
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9. वैज्ञानिकों के अनुसार मानव इतिहास का सबसे गर्म महीना कौन सा रहा?
According to scientists, which was the hottest month in human history?
a. जून 2022
b. मई 2023
c. जून 2023
d. जुलाई 2023
Answer: c. जून 2023
– यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने 6 जुलाई 2023 इससे संबंधित रिपोर्ट जारी की।
– इसके वैज्ञानिकों का कहना है कि जून 2023 का महीना दुनिया में मानव इतिहास का सबसे गर्म महीना था।
– इस दौरान जमीन और समुद्र दोनों पर असामान्य रूप से हाई टेंपरेचर दर्ज किया गया था।
– भारत, ईरान, कनाडा सहित कई देशों में तापमान औसत से ऊपर रहा, जबकि मेक्सिको में अत्यधिक गर्मी के कारण 100 से अधिक मौतें हुईं और बीजिंग में जून का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया।
– जैसे-जैसे आने वाले महीनों में अल नीनो घटना और विकसित होगी, वैश्विक तापमान के और अधिक रिकॉर्ड टूटते देखना अप्रत्याशित नहीं है।
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10. फेसबुक और इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी ‘मेटा’ ने माइक्रोब्लॉगिंग ऐप लॉन्च किया, इसका नाम बताएं?
Facebook and Instagram’s parent company ‘Meta’ launched microblogging app, name it?
a. पेटा
b. थ्रेड्स
c. पेट्स
d. किलर
Answer: b. थ्रेड्स
– मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने 5 जुलाई 2023 को एक नई माइक्रोब्लॉगिंग ऐप थ्रेड्स को लॉन्च किया।
– महज 2 घंटे में इस ऐप को 50 लाख से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड कर लिया। 24 घंटे बाद इसे डाउनलोड करने वालों की संख्या 1 करोड़ और 3 दिन में बढ़कर 5 करोड़ हो गई।
– अब सोशल मीडिया यूजर्स थ्रेड्स को ट्विटर किलर बताने लगे हैं।
ट्विटर के लिए खतरा बना थ्रेड्स ऐप क्या है?
– ट्विटर की तरह ही थ्रेड्स एक माइक्रोब्लॉगिंग साइट है।
– इस साइट को इंस्टाग्राम की टीम ने डेवलप किया है।
– इसे भारत समेत 100 से ज्यादा देशों में लॉन्च किया गया है।
– इस ऐप पर 500 कैरेक्टर के पोस्ट पब्लिश कर सकते हैं।
– ट्विटर की तुलना में थ्रेड्स को इस्तेमाल करना ज्यादा आसान है। इंस्टाग्राम यूजर्स आसानी से एक क्लिक के जरिए थ्रेड्स अकाउंट बना सकते हैं। जबकि ट्विटर पर आपको मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी आदि अपडेट करना होता है।
– इस वजह से थ्रेड्स को ट्विटर का किलर बताया जा रहा है।