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Q. जातीय हिंसा से ग्रस्त किस राज्य के एक वायरल वीडियो से पूरा देश स्तब्ध रह गया, जिसमें सैंकड़ों की भीड़ दो महिलाओं को नग्न परेड निकाल रही थी?
A viral video from which caste-hit state shocked the nation, showing a crowd of hundreds parading naked two women?
a. नागालैंड
b. त्रिपुरा
c. मिजोरम
d. मणिपुर
Answer: d. मणिपुर
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मणिपुर में हिंसा की वजह से उग्रवादियों से जुड़े संगठन ने किस राज्य से मैतेई लोगों को जाने को कहा, इसके बाद हजारों लोगों ने पलायन शुरू किया?
Due to the violence in Manipur, Meitei people were asked to leave from which state by an organization linked to the militants, after which thousands of people started migrating?
a. नागालैंड
b. त्रिपुरा
c. मिजोरम
d. असम
Answer: c. मिजोरम
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मणिपुर में कुकी व मैतेई के जातीय विवाद का इतिहास और वर्तमान हालात क्या हैं?
– मणिपुर की आग अब मिजोरम पहुंची
– मणिपुर में जातीय हिंसा की आग अब मिजोरम पहुंच गई है।
– मिलिटेंट से जुड़े एक एसोसिएशन ने बयान जारी करके कहा कि मिजोरम में रहने वाले मैतेई लोगों को उनकी सुरक्षा के मद्देनजर राज्य छोड़ देना चाहिए। इस वक्त मीजो समुदाय की भावनाएं आहत हैं।
– इस सलाह को धमकी के रूप में माना जा रहा है।
– इसके बाद मिजोरम से हजारों लोग पलायन कर रहे हैं।
– मणिपुर सरकार ने भी कह दिया है कि वो अपने मैतेई लोगों को चार्टर्ड फ्लाइट से इवेक्युएट कराएगी।
मणिपुर में हिंसा
– दो कम्युनिटी मैतेई और कुकी जातियों के बीच वायलेंस ढाई महीने से ज्यादा वक्त से जारी है।
– इंडियन एक्सप्रेस के जर्नलिस्ट दीप्तिमान तिवारी कहते हैं कि यह यूनिक कांफ्लिक्ट है। इस प्रकार का कंप्लीट डिविजन दो कम्युनिटी में हमने पहले नहीं देखा है।
– दो कम्युनिटी इस कदर डिवाइडेड हो गए हैं, कि वे सोचते हैं कि एक साथ अब नहीं रह सकते हैं।
– यहां नरसंहार (जेनोसाइड) हो रहे हैं। बहुत लोग मारे जा चुके हैं। कई हजार घर जलाए जा चुके हैं।
– कुकी ने अलग एडमेनिस्ट्रेशन की डिमांड शुरू कर दी है।
– दूसरी ओर मैतेई कह रहे हैं कि कुकी एरिया में नार्को टेररिज्म है।
– मणिपुर में दो ग्रुप हैं।
– एक है मैतेई समुदाय (यह बहुसंख्यक है)
– दूसरे है राज्य के कुकी और नागा शेड्यूल ट्राइब (ST)
– मैतेई समुदाय चाहता है कि उन्हें शेड्यूल ट्राइब का दर्जा मिला।
– जबकि शेड्यूल ट्राइब में शामिल कुकी समुदाय इसके खिलाफ है।
– सारा विवाद इसी बात को लेकर हो रहा है।
मणिपुर
– सीएम – एन बीरेन सिंह
– राज्यपाल – अनुसुइया उइके
– राजधानी – इंफाल
– पड़ोसी राज्य – नागालैंड, असम और मिजोरम
– किस देश से जुड़ी सीमा – म्यांमार
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हिस्टॉरिकल बैकग्राउंड
– मणिपुर पर अंग्रेजों ने 1891 में कंट्रोल किया था।
– भारत की आजादी के बाद यह स्वतंत्र प्रिंसली स्टेट के रूप में था।
– 1949 में मणिपुर का भारत संघ में विलय हो जाता है।
– मणिपुर को 1956 से 1972 तक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में रखा जाता है।
– 1972 में मणिपुर को राज्य का दर्जा मिलता है।
राज्य बनने के बाद विवाद
– राज्य बनने के बाद मणिपुर को संविधान के अनुच्छेद 371c के तहत पहाड़ी जिलों (Hill district) के ट्राइबल एरिया को प्रोटेक्ट किया गया।
– संविधान के अनुच्छेद 371c के तहत पहाड़ी जिलों में गैर आदिवासी जमीन नहीं खरीद सकते हैं। (यह जम्मू-कश्मीर में खत्म किए गए अनुच्छेद 370 की तरह)
– पहाड़ी एरिया मणिपुर का 90 प्रतिशत इलाका है। यहां इंडीजीनस ट्राइब रहते हैं। यहां 34 मान्यता प्राप्त जनजातियां हैं, जिन्हें मोटे तौर पर ‘एनी कुकी ट्राइब्स’ और ‘एनी नागा ट्राइब्स’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनकी आबादी राज्य की आबादी के 36 प्रतिशत से काफी कम है।
– वैली (घाटी) एरिया मणिपुर का 10 प्रतिशत है। यहां मैतेई समुदाय के लोग रहते हैं। इनमें से कुछ को ओबीसी और कुछ को शेड्यूल कास्ट का दर्जा प्राप्त है। उनकी संख्या मणिपुर में 64.6% है।
– अगर आप एथनिकली देखते हो तो, घाटी में हिन्दू हैं और पहाड़ी इलाके में क्रिश्चैनिटी का इंफ्लुएंस है।
– राज्य में डेवलपमेंट समान रूप से नहीं हुआ। घाटी में डेवलपमेंट अच्छी तरह से पहुंचा। जबकि पहाड़ी इलाके में विकास (हेल्थ, एजुकेशन व अन्य) बेहद कम हुआ है।
– इसलिए इसे यहां हिल-वैली डिवाइड कहते हैं।
– मणिपुर के ट्राइब राज्य के 90 प्रतिशत इलाके में रह रहे हैं और विधानसभा के 60 सीटों में से मात्र 20 लेजिस्लेटर चुनकर आ रहे हैं। क्योंकि आबादी कम है।
– जबकि 40 मेंबर घाटी से चुनकर आ रहे हैं। क्योंकि यहां आबादी ज्यादा है। जबकि यह मात्र 10 प्रतिशत इलाका है।
– इसकी वजह से दोनों में टेंशन रहता है।
मैतेई की डिमांड
– मैतेई की डिमांड है कि उन्हें शेड्यूल ट्राइब का दर्जा दिया जाय।
– कहा जाता है कि मैतेई भी पहले ट्राइब हुआ करते थे। जिन्होंने बाद में हिन्दुइज्म को अपना लिया। इनमें कुछ मुस्लिम भी हैं और क्रिश्चयन भी हैं। लेकिन ज्यादातर हिन्दू है। यह इंफाल वैली में रहते हैं। वे सिर्फ मणिपुर के 10 प्रतिशत एरिया में रहते हैं।
– अन्य ट्राइब हैं – कुकी और नागा। – ये दोनों ज्यादातर क्रिश्चियन हैं।
– लेकिन माइनॉरटी (कुकी और नगा) का कहना है कि कहने को बड़ा पहाड़ है, लेकिन यहां सुविधाएं तो हैं नहीं।
– क्योंकि वैली में खेती कर सकते हैं, मेडिकल कॉलेज, अस्पताल, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट और अन्य सुविधाएं है।
– मैतेई का कहना है कि हम ट्राइब की जमीन नहीं रखीद सकते हैं।
हाईकोर्ट के फैसले से विवाद भड़का
– इसी के मद्देनजर मई 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर दिया कि स्टेट गवर्नरमेंट, सेंट्रल को रेकोमेंडेशन भेजे कि मैतेई को ट्राबल स्टेटस दिया जाए।
– इसको लेकर ट्राइबल्स ने रैली निकाली।
– इसमें आगजनी और मारपीट की घटनाएं हो गईं।
– इसके बाद बात बढ़ते-बढ़ते इस वक्त जातीय हिंसा में फैल गई।
सिक्योरिटी फोर्स के बावजूद सेचुएशन कंट्रोल क्यों नहीं
– इंडियन एक्सप्रेस के जर्नलिस्ट दीप्तिमान तिवारी कहते हैं – पहले ही दिन पता था कि चुराचांदपुर सहित कई जिलों में रैली निकलने वाली है।
– लेकिन चुराचांदपुर में पता था कि 60 से 80 हजार लोग इकट्ठा हो रहे हैं। जब इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठा होती है तो भीड़ कंट्रोल से बाहर हो जाती है।
– यह दूसरी कम्युनिटी में भी डर पैदा करता है।
– उसी दिन बड़ी संख्या में वहां फोर्स तैनात करना चाहिए था। लेकिन फेल्योर रही।
– इस दौरान रैली ऐसी जगह से निकली, जहां मैतेई और कुकी समुदाय के गांव थे, मिली-जुली आबादी थी।
– वहां आगजनी हुई।
– इसके बाद कुकी वॉर मेमोरियल को जला दिया गया।
– तब तरह-तरह की अफवाहें फैलने लगी। इससे हिंसा और भड़की।
– पहले तीन दिनों में 72 लोग मारे गए। इनमें 60 मृतक कुकी थे।
– तब कुकी में लगा कि उन्हें टार्गेट किया जा रहा है।
– इसके बाद कुकी लोगों ने कई मैतेई को मार दिया।
– हालत ऐसी हुई कि जितने कुकी लोग, मैदान में थे, उन्हें पहाड़ पर भागना पड़ा।
– और जो पहाड़ पर मैतेई थे, उन्हें मैदान में भागना पड़ा।
– तो यहां दो कम्युनिटी में कंप्लीट डेमोग्रेफिक और इमोशनल सेपरेशन हो गया।
अब क्या हो रहा है
– कुछ फ्रिंज एरिया हैं। मतलब वो एरिया, जो इंफाल वैली और पहाड़ के बीच का।
– यहां मिक्स विलेज है। मैतेई और कुकी का।
– यहां कुकी लोग मैतेई के घर जला रहे हैं और मैतेई लोग कुकी के घर जला रहे हैं।
– स्पेसिफिक टार्गेट कर रहे हैं एक दूसरे को।
– लेकिन नागा और अन्य ट्राइब के गांव बचे हुए हैं।
फोर्स, शांति कायम करने में विफल
– मई में पहली घटना के बाद 40 हजार फोर्स वहां पहुंची थी। फोर्स हालात को कंट्रोल करने में विफल हैं।
– माना जा रहा है कि अब यहां एक लाख की संख्या में सेना व असम रायफल्स, पैरामिलिटरी फोर्स और पुलिस के जवान हैं।
पुलिस भी बंट गई, चार-चार हजार वेपन दोनों समुदाय ने लूटे
– इंडियन एक्सप्रेस के जर्नलिस्ट दीप्तिमान तिवारी कहते हैं – यहां सिक्योरिटी फोर्स और पुलिस को लेकर पूरी तरह से विश्वास की कमी है।
– कुकी समुदाय के लोग कह रहे हैं कि मणिपुर पुलिस, मैतेई लोगों के प्रभाव में हैं।
– शुरुआती वायलेंस (मई 2023) में ही करीब 4000 वेपंस, मणिपुर रायफल्स और लोकल पुलिस स्टेशन में थे, उनको इंफाल वैली में लूट लिया गया।
– सिक्योरिटी फोर्स का कहना है कि कुछ केसेज में लूटा नहीं गया, बल्कि हैंडओवर किया गया।
– क्योंकि वे सेम कम्यूनिटी (मैतेई) के हैं, तो उन्होंने थाने के ताले खोल दिए और लूटने दिया।
– ऐसी घटनाएं चुराचांदपुर और कुछ अन्य जगहों में हुईं। जहां पर पुलिस में कुकी लोग हैं।
– उसने भी अपनी कम्यूनिटी की सिंपेथी में पुलिस स्टेशन के ताले खोल दिए और लोग हथियार लेकर चले गए।
– इस वक्त दोनों तरफ हजारों वेपंस हैं।
– इन हथियारों गन, असॉल्ट रायफल, एसएलआर, लॉंग रेंज, थ्री नॉट थ्री, असलहा, बारूद, बम के गोले हैं।
– यहां तक कि 51 एमएम मोर्टर फायर है, जिसे सिर्फ मिलिटरी या IRB (इंडियन रिजर्व बटालियन) यूज करती है।
सिक्योरिटी फोर्स के लिए ये हथियार बंद लोग हैं बड़ी समस्या
– अब सिक्योरिटी फोर्स के लिए बड़ा चैलेंज है।
– क्योंकि इतना बड़ा मिलिटराइज सिविलियन को सिक्योरिटी फोर्स ने डील नहीं किया है।
– मणिपुर में तो दोनों तरफ के लोगों के पास हजारों-हजार गन हैं, वो भी असॉल्ट रायफल हैं।
मणिपुर में गन कल्चर
– दूसरी ओर मणिपुर की सोसायटी में, पूरी देश से अलग, यहां गन कल्चर है।
– हिल्स या वैली में लोग अमूमन चाहते हैं कि घर में एक गन होनी ही चाहिए।
– मणिपुर में किसी विधायक के घर चले जाएं, तो वहां लिखा रहता है कि गन लाइसेंस कैसे बनवाएं।
– मणिपुर ने कई दशकों से उग्रवाद देखा है, तो वहां की सोसायटी में एक डर भी होता है और फैसिनेशन भी हो जाता है।
– वहां लंबे समय तक इंडिपेंडेंट मणिपुर का मूवमेंट चला है।
– फिर कुकी का उग्रवाद फिर नागा का उग्रवाद चला है।
– तो हर ग्रुप की एक-एक मिलिटेंसी का एक दौर चला है। जिसकी वजह से छोटे स्तर पर मिलिटराइज सोसायटी ने जन्म लिया।
– चाहे वह मैदानी इलाका हो या पहाड़ी।
– कुकी जंगल में रहते हैं, वे हंटिंग करते हैं, तो ज्यादातर के पास गन मिलेंगे।
– मणिपुर में गन बहुत बड़ा सिक्योरिटी चैलेंज है।
पुलिस भी बंट गई
– कुकी पॉपुलेशन मणिपुर पुलिस पर ट्रस्ट नहीं करती है।
– जबकि मैतेई पिपुल, असम राइफल्स (जो इंडियन का पार्ट है) उसपर ट्रस्ट नहीं करती है।
– वजह है कि असम राइफल्स वहां की मुख्य सिक्योरिटी फोर्स है। उसकी करीब 20 बटालियन वहां पर उग्रवाद को कंट्रोल करने के लिए दशकों से तैनात हैं।
– उनके ज्यादातर कैंप पहाड़ों पर हैं। इसलिए नेचुरल रिलेशन दशकों में पहाड़ी पॉपुलेशन के साथ बनते चले गए।
– मैतेई पिपुल का कहना है कि असम राइफल्स पर कि ड्रग ट्रेड पर आंख मूंद लेते हैं। आरोप यह भी है कि पोस्त (अफीम) की खेती पहाड़ों पर होती है।
– वे कहते हैं कि असम राइफल्स, इललीगल इमिग्रेंट्स को आने देते हैं।
– हालांकि असम राइफल्स इससे साफ तौर पर गलत बताते हैं। उनका कहना है कि, हमने बहुत सारे मैतेई फैमेली को निकालकर बचाया है।
क्या म्यांमार के कुकी का प्रभाव बड़ी समस्या है?
– यह फैक्ट है कि इललीगल इमिग्रेंट्स एक समस्या है।
– यह जांच का मामला है। मैतेई कहते हैं कि बहुत बड़ी संख्या है, लेकिन कुकी कहते हैं कि ऐसा बहुत कम है।
– 2011 के बाद सेंसेस हुआ नहीं है, इसलिए पता नहीं है कि कितने लोग हैं।
– कुछ साल में म्यांमार से बहुत सारे कुकी वहां की सेना की वजह से भगाए गए हैं।
– जैसे एक समय म्यांमार से रोहिंग्या को भागना पड़ा था। उतनी तो नहीं, लेकिन कुछ ऐसी स्थिति है।
– म्यांमार की कुकी ट्राइब से मणिपुर की कुकी ट्राइब से रिलेशन है। आपस में रिश्तेदारी है।
– मिजोरम ने बहुत सारे रिलीफ कैंप बनाकर रखा हुआ, जो म्यांमार से भागकर आए हैं। लेकिन मणिपुर में ऐसा नहीं हुआ।
– बताया जाता है चूकि नेचुरल आत्मियता है, तो गांव के विलेज चीफ के पास कुछ पावर होती है, उन लोगों ने नए घर बनाकर सेटेल कर दिया है।
– इसकी वजह से मणिपुर में मैतेई में रिएक्शन है। उनका कहना है कि इससे जंगल काटे जा रहे हैं, नए गांव बनाने के लिए। हमारा एन्वायरमेंट खराब हो रहा है।
सरकार का फेल्योर
– गवर्नमेंट का फेल्यर पहले ही दिख गया था। पुलिस स्टेशन लूटे जा रहे हैं,
– सारे कुकी पुलिसकर्मी पहाड़ पर भाग गए और सारे मैतेई पुलिसकर्मी भागकर मैदान में आ गए।
– तो सिक्योरिटी स्ट्रक्चर कोलैप्स कर चुका है।
– इसके बाद बड़ी आशा थी कि सेंटर का जो संवैधानिक दायित्व के तहत इंटरफैरेंस से कुछ बदलेगा।
– तो करीब एक लाख मिलिटरी, पैरा मिलिटरी और पुलिस हैं। जबकि आबादी 32 लाख है।
2- यहां तक कि डीजीपी बदल दिया गया।
– एक सिक्योरिटी एडवाइजर भेजे गए।
गृह मंत्री का दौरा
– अमित शाह चार दिन वहां पर रहे। यह अनप्रेसिडेंटेड होता है कि छोटे से स्टेट में देश का गृहमंत्री चार दिन स्टे करे। वह राज्य कोई यूपी या एमपी नहीं है। छोटा सा राज्य है।
– वे सभी एरिया में जाते हैं, सभी से बात करते हैं।
– अपील करते हैं कि 15 दिन की शांति रखिए, हम इसका राजनीतिक समाधान निकालेंगे।
– लेकिन उस 15 दिनों में बहुत सारे लोग मारे गए।
– बहुत सारे घर जला दिए गए।
– केंद्रीय गृह मंत्री के कहने को कोई फर्क नहीं पड़ा।
– राज्य सरकार और सेंट्रल फोर्सेज, गृह मंत्री की बात का मान नहीं रख सके। वे सुरक्षा प्रोवाइड नहीं कर सके।
हिंसा कैसे रुकेगी
– इंडियन एक्सप्रेस के जर्नलिस्ट दीप्तिमान तिवारी कहते हैं – किसी भी राजनेता या सिक्योरिटी चीफ से बात कर लें – किसी के पास इसका जवाब नहीं है।
– सभी यह समझते हैं कि पहला प्रायोरिटी है कि डेड बॉडी न गिरे। लोगों की हत्या न हो।
– दूसरी प्रायोरिटी है कि घर न जले।
– जब तक कि लंबे समय तक घर जलना और लोगों की हत्या नहीं रुकेगी, तब तक शांति की बातचीत का कोई पॉसिबिलिटी नहीं है।
– जब अमित शाह गए थे, तो जब उन्होंने पीस कमेटी बनवाई, तो पहले ही दिन वे फेल हो गए।
– दोनों ग्रुप ने कहा कि वे दूसरे को अपने पीस कमेटी में नहीं रखेंगे।
– तो पीस टॉक वहीं खत्म हो गई।
– दोनों तरफ का कहना है कि पीस कैसे होगी, जब दूसरा साइड से गोलियां मारी जा रही हैं और घर जलाए जा रहे हैं। क्या बात करेंगे।
– इंडिया पाकिस्तान से बात करते हैं तो कहते हैं कि आपसे हम क्या बात करें आप तो हमारी ओर मिलिटेंट भेज रहे हैं।
नेताओं के घर जलाए जा रहे हैं
– मैतेई पॉपुलेशन में इस बात का फ्रस्टेशन फैल गया है कि कहीं से कुछ नहीं हो रहा है।
– वे कहते हैं कि नेता कुछ नहीं कर रहा है तो, दिल्ली जाकर कुछ करे।
– इसी के चलते मणिपुर के नेता दिल्ली आकर बैठे हैं।
– मणिपुर के लोग फ्रस्टेटेड हैं कि कुछ हो नहीं रहा है। तो गुस्से में नेताओं के घर जला देते हैं।
– बीजेपी का ऑफिस में तगड़ी सुरक्षा है, क्योंकि ऐसे इनपुट हैं कि ये दफ्तर ही जला दिया जाएगा।
– कोई गन भी वापस नहीं करना चाह रहा है। वे कहते हैं कि पहले दूसरा गुट जमा करे।
– अब ये काम सिक्योरिटी फोर्सेज का है कि लोगों में एक विश्वास पैदा करें।
– सिक्योरिटी फोर्स का कहना है कि न ही हमें गोली चलाकर मार डालने के आदेश हैं। तो ऐसी परिस्थिति में हम क्या करें।
– दोनों तरफ से बंदूकें हैं, हम किसी को मार नहीं सकते।