यह 24 अगस्त 2023 का करेंट अफेयर्स है। इसमें चंद्रयान-3 के महत्वपूर्ण प्रश्न – उत्तर हैं, जो सरकारी नौकरी की बेहतर तैयारी में काफी मदद करेंगे।
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1. चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग, चांद के किस हिस्से में हुई?
In which part of the Moon did the soft landing of Chandrayaan-3 take place?
a. उत्तरी ध्रुव
b. दक्षिणी ध्रुव
c. चंद्रमध्य रेखा
d. इनमें से कोई नहीं
Answer: b. दक्षिणी ध्रुव (south pole)
– चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कर इतिहास रच दिया।
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2. चांद पर अंतरिक्ष यान (स्पेसक्राफ्ट) सफलता पूर्वक उतारने वाला भारत दुनिया का कौन सा वां देश बन गया?
India has become which country in the world to successfully land a spacecraft on the moon?
a. पहला
b. दूसरा
c. तीसरा
d. चौथा
Answer: d. चौथा
– भारत, चांद पर स्पेसक्राफ्ट की सॉफ़्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है।
– इससे पहले रूस, चीन और अमेरिका ने चंद्रमा पर सॉफ़्ट लैंडिंग की थी।
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3. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान (स्पेसक्राफ्ट) उतरने वाला दुनिया का पहला देश कौन है?
Which is the first country in the world to land a spacecraft on the south pole of the Moon?
a. भारत
b. यूएसए
c. चीन
d. रूस
Answer: a. भारत
– भारत के चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट ने 23 अगस्त 2023 को विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर इतिहास रच दिया।
– सारी दुनिया की निगाहें चंद्रयान-3 पर टिकी थीं. इस सफलता के साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बन गया है।
– और चांद पर सॉफ़्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया।
– इससे पहले रूस, चीन और अमेरिका ने चंद्रमा पर सॉफ़्ट लैंडिंग की है.
– लेकिन इन सबका काम भूमध्यरेखीय क्षेत्र में था।
– विक्रम लैंडर ने दक्षिणी ध्रुव के क़रीब सॉफ़्ट लैंडिंग की है जो भारत के लिए बहुत गर्व की बात है।
चांद पर उतरते ही लैंडर ने भेजा संदेश
शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा। चांद पर पहुंचकर लैंडर ने मैसेज भेजा- मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं।
विक्रम लैंडर की गति कैसे कम हुई?
– चांद की सतह पर उतरने से पहले विक्रम लैंडर की रफ़्तार कम करना भी एक चुनौती थी।
– इसके लिए चंद्रयान -3 के विक्रम लैंडर को 125*25 किलोमीटर की ऑर्बिट में रखा गया था। इसके बाद इसे डिऑर्बिट किया गया।
– इसके बाद जब उसे चांद की सतह की ओर भेजा गया तब उसकी रफ़्तार 6000 किलोमीटर प्रति घंटे से ज़्यादा थी।
– इसके बाद कुछ ही मिनटों में जब उसे चांद की सतह पर सॉफ़्ट लैंड किया तो उसकी गति बेहद कम कर दी गयी।
– 50 मीटर की ऊंचाई पर रफ्तार कम होकर 8 किलोमीटर प्रतिघंटा तक आ गई थी।
– इससे लेंडर विक्रम सफलता पूर्वक उतर गया।
तब रूस के नाम हो जाता यह रिकॉर्ड
– भारत से पहले रूस चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लूना-25 यान उतारने वाला था। 21 अगस्त को यह लैंडिंग होनी थी, लेकिन आखिरी ऑर्बिट बदलते समय रास्ते से भटक गया और चांद की सतह पर क्रैश हो गया।
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4. चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम क्या है?
What is the name of the lander of Chandrayaan-3?
a. प्रज्ञान
b. विक्रम
c. चंद्र
d. देवदत्त
Answer: b. विक्रम
– चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर का नाम विक्रम बताया।
– विक्रम का नाम भारत में स्पेस टेक्नोलॉजी के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर दिया गया।
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5. चंद्रयान-3 के रोवर का नाम क्या है?
What is the name of the rover of Chandrayaan-3?
a. प्रज्ञान
b. विक्रम
c. चंद्र
d. देवदत्त
Answer: a. प्रज्ञान
– इससे पहले लैंडर और रोवर को ऑफिशियली किसी नाम से नहीं पुकारा गया था।
– चांद पर उतरने के बाद इसरो ने ऑफिशियल रूप से लैंडर को विक्रम और रोवर को प्रज्ञान कहा।
– चंद्रयान-2 के लैंडर और विक्रम का नाम भी यही था, जो वर्ष 2019 में क्रैश गया था।
चंद्रयान में इस बार नहीं भेजा गया ऑर्बिटर
– चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा गया है।
– उसकी जगह इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल भेजा गया है।
– यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा।
– इसके बाद यह चंद्रमा के चारों तरफ 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा।
– इसे ऑर्बिटर इसलिए नहीं बुलाते क्योंकि यह चंद्रमा की स्टडी नहीं करेगा।
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6. चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का नाम बताएं?
Name the project director of Chandrayaan-3?
a. मोहना कुमार
b. पी वीरमुथुवेल
c. ऋतु करिधाल
d. राजेंद्र कुमार
Answer: b. पी वीरमुथुवेल
– पी वीरमुथुवेल साल 2014 में ISRO में शामिल हुए थे।
– सितबंर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन फेल होने के बाद उन्हें चंद्रयान-3 मिशन का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया गया था।
– वीरमुथुवेल मूलरूप से तमिलनाडु के विल्लुपुरम के रहने वाले हैं। उनके पिता रेल कर्मचारी थे।
– 14 जुलाई को LMV3 रॉकेट से चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बदा से प्रोजेक्ट डायरेक्ट पी वीरमुथुवेल और वैज्ञानिकों की टीम लगातार मिशन कंट्रोल सेंटर में रही।
– चंद्रयान-3 की स्पीड को कंट्रोल करने का काम भी इसी टीम ने किया।
– हालांकि चंद्रमा पर स्पेसक्राफ्ट के उतरने के अंतिम 17 मिनट के दौरान उन्होंने केवल नजर रखी। क्योंकि स्पेसक्राफ्ट की सॉफ्ट लैंडिंग ऑटोमेटिक तरीके से हुआ।
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7. चंद्रयान-3 की एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर का नाम बताएं?
Name the Associate Project Director of Chandrayaan-3?
a. राकेश शर्मा
b. ऋतु करिधाल
c. कल्पना कालाहस्ती
d. राजेंद्र कुमार
Answer: c. कल्पना कालाहस्ती
– चेन्नई से बीटेक की पढ़ाई के बाद कल्पना ने 2000 में एक वैज्ञानिक के रूप में ISRO जॉइन किया था।
– वह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की रहने वाली हैं।
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8. चंद्रयान-3 के मिशन डायरेक्टर का नाम बताएं?
Name the mission director of Chandrayaan-3?
a. एम श्रीकांत
b. ऋतु वर्मा
c. के सिवन
d. राजेंद्र कुमार
Answer: a. एम श्रीकांत
नोट – चंद्रयान-3 के लॉन्च के लिए मिशन डायरेक्टर एस. मोहना कुमार थे। हालांकि इसके बाद का जिम्मा एम श्रीकांत ने मिशन डायरेक्टर के तौर पर निभाया।
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9. चंद्रयान-3 लॉन्च के लिए मिशन डायरेक्टर कौन थे?
Name the mission director for the launch of Chandrayaan-3?
a. मोहना कुमार
b. ऋतु वर्मा
c. के सिवन
d. राजेंद्र कुमार
Answer: a. मोहना कुमार
नोट – चंद्रयान-3 के लॉन्च के लिए मिशन डायरेक्टर एस. मोहना कुमार थे। हालांकि इसके बाद का जिम्मा एम श्रीकांत ने मिशन डायरेक्टर के तौर पर निभाया।
चंद्रयान-3 मिशन की सक्सेस के पीछे साइंटिस्ट
– डॉ.एस.सोमनाथ (इसरो चीफ)
– पी. वीरमुथुवेल (प्रोजेक्ट डायरेक्टर)
– एम श्रीकांत (मिशन डायरेक्टर)
– एस. मोहना कुमार (लॉन्च के लिए मिशन डायरेक्टर)
– कल्पना कालाहस्ती (एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर)
– वी. नारायणन (लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के डायरेक्टर)
– एम.शंकरन (यूआर राव अंतरिक्ष केंद्र के डायरेक्टर)
– बीएन. रामकृष्ण (इस्ट्रैक सैटेलाइट, नेविगेशन डायरेक्टर)
– एस. उन्नीकृष्णन नायर (विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर)
– इनके अलावा और भी वैज्ञानिक हैं, जिनका इस मिशन में काफी योगदान रहा।
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10. इसरो ने किस रॉकेट से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था?
With which rocket did ISRO launch Chandrayaan-3?
a. PSLV-M3
b. GSLV
c. LVM3-M4
d. SLV-3
Answer: c. LVM-3-M4 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3)
– आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को स्पेस में भेजा गया।
– इसका पुराना नाम जीएसएलवी-III है।
– यह रॉकेट 4,000 किलोग्राम वर्ग के उपग्रहों को GTO (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में और 8,000 किलोग्राम के पेलोड को LEO (लोअर अर्थ ऑर्बिट) में लॉन्च करने में सक्षम है।
– यह एक तीन-चरणीय प्रक्षेपण यान (लॉन्च व्हीकल) है।
– इसके दोनों ओर दो ठोस प्रणोदक (solid propellant) लगे हैं।
– मुख्य हिस्से में L110 तरल चरण (liquid stage) और C25 क्रायोजेनिक चरण (cryogenic stage) शामिल हैं।
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11. चंद्रयान-3 मिशन की लागत बताएं?
Tell the cost of Chandrayaan-3 mission?
a. 615 करोड़ रुपए
b. 978 करोड़ रुपए
c. 1000 करोड़ रुपए
d. 2200 करोड़ रुपए
Answer: a. 615 करोड़ रुपए
– इसरो ने 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से स्पेसशिप चंद्रयान-3 लॉन्च किया।
– यह 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा।
चंद्रयान 3 का बजट, पिछले मिशन से कम क्यों?
– चंद्रयान-3 की लागत 615 करोड़ रुपए बताई जा रही है।
– जबकि चंद्रयान-2 पर 978 करोड़ रुपए का खर्च आया था।
– दरअसल, जब चंद्रयान 2 भेजा गया था तो उसके तीन हिस्से थे – ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर।
– ऑर्बिटर कामयाब रहा और वो अभी भी चांद की ऑर्बिट में घूम रहा है।
– तो इस बार जब हम चंद्रयान 3 भेज रहे हैं, तो ऑर्बिटर का प्रयोग नहीं कर रहे क्योंकि ऑर्बिटर वहां पहले से मौजूद है। ऐसे में हमारे ऑर्बिटर की पूरी लागत इस बार बच गई।
– इसरो की सबसे अच्छी बात ये है कि ये ज़्यादातर काम इन-हाउस करते हैं। यानी काफ़ी तकनीक वो ख़ुद से डेवलप कर लेते हैं, जिससे कम लागत में हम बड़े मिशन को अमल में ला रहे हैं।
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12. चांद पर चंद्रयान-3 का लैंडर और रोवर कितने वक्त तक सक्रिय रहेगा?
For how long will Chandrayaan-3’s lander and rover remain active on the moon?
a. एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन)
b. दो चंद्र दिवस (पृथ्वी के 28 दिन)
c. तीन चंद्र दिवस (पृथ्वी के 42 दिन)
d. पांच चंद्र दिवस (पृथ्वी के 70 दिन)
Answer: a. एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन)
– लैंडर चांद पर एक लूनार दिन तक एक्टिव रहेगा। एक लूनार दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है।
– चंद्रयान-3 के लैंडर की चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए जरूरी है कि वहां सूरज निकला हो।
– लैंडर के लिए सनलाइट जरूरी है।
– चांद पर 14-15 दिन सूरज निकलता है और बाकी 14-15 दिन सूरज नहीं निकलता है।
चंद्रयान-3 का उद्देश्य क्या है?
– इस मिशन में चंद्रयान का एक रोवर निकलेगा (एक छोटा सा रोबोट) जो कि चांद की सतह पर उतरेगा और लुनर साउथ पोल में इसकी पोजिशनिंग होगी।
– यहीं पर रोवर इस बात की खोज करेगा कि चांद के इस हिस्से में उसे क्या-क्या ख़निज, पानी, वायुमंडल और चंद्रकंपन की जानकारी आदि मिल सकता है।
– इस खोज से ख़ास बात ये होगी कि अगर कभी भविष्य में हम चांद में कॉलोनियां बसाना चाहें, तो इसमें बहुत मदद मिलेगी।
कुल वजन
– चंद्रयान-3 में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है। इसका कुल भार लगभग 3,900 किलोग्राम है।
लैंडर और रोवर में साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट लगे हैं।
– पहला – चंद्र कंपन (मून क्वेक्स) को मापेगा।
– दूसरा – पता लगाएगा कि चंद्रमा की सतह किस प्रकार गर्मी को अपने अंदर प्रवाहित होने देती है।
– तीसरा : प्लाज्मा एन्वायरमेंट का पता लगाएगा।
– चौथा – पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी को सटीकता से मापेगा
– पांचवां – यह मिट्टी में मौजूद खनिज ढूंढेगा।
प्लाज्मा एन्वायरमेंट के पता लगाने का क्या मतलब है?
– इसरो के चीफ एस सोमनाथ का कहना है – “हम जानते हैं कि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है। लेकिन यह बिल्कुल सच नहीं है क्योंकि इससे गैसें निकलती हैं। बल्कि वे आयनित हो जाते हैं और सतह के बहुत करीब रहते हैं। यह दिन और रात के साथ बदलता है। चंद्रयान-3 के लैंडर पर रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर (RAMBHA) निकट-सतह प्लाज्मा घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तनों को मापेगा।”
महत्वपूर्ण बातें
– चंद्रयान-3 कब लॉन्च हुआ : 14 जुलाई 2023
– किस रॉकेट से लॉन्च हुआ – लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3)
– चांद पर कब साफ्ट लैंडिंग हुई – 23 अगस्त की शाम
– चांद पर कहां उतरा – चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर सॉफ्ट लैंडिंग
इसरो (ISRO)
चीफ – एस सोमनाथ
अंतरिक्ष से सबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
1. अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने वाला पहला देश : सोवियत संघ (अब विखंडित होकर रूस)
2. अंतरिक्ष में पहुंचने वाला पहला उपग्रह : स्पूतनिक (4 अक्टूबर 1957)
3. अंतरिक्ष मे जाने वाली पहली डॉग : लाईका (सोवियत संघ ने 3 नवंबर 1957 को भेजा था)
4. अंतरिक्ष में जाने वाला पहला इंसान : यूरी गागरिन (12 अप्रैल 1961)
5. अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला : वेलेन्टिना तरेश्कोवा (सोवियत संघ ने 16 जून 1963 को भेजा था)
6. अंतरिक्ष में जाने वाला पहला भारतीय : राकेश शर्मा (अप्रैल 1984 में सोवियत संघ के मिशन के जरिए पहुंचे)
7. प्रथम भारतीय अमेरिकी महिला अंतरिक्ष यात्री : कल्पना चावला
8. चन्द्रमा की परिक्रमा करने वाला पहला अंतरिक्ष यान : लूना-10 (मार्च 1966)
9. चन्द्रमा पर आदमी भेजने वाला पहला देश : USA
10. चांद पर कदम रखने वाला पहला इंसान : नील आर्मस्ट्रॉन्ग (USA के स्पेसक्राफ्ट अपोलो-11 के जरिए वर्ष 1969 में पहुंचे)
11. मंगल ग्रह पर चालक रहित अंतरिक्षयान भेजने वाला पहला देश : USA
12. मंगल ग्रह पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान – वाइकिंग-1 (Viking-1)
I like it most sir thank you