यह 20 December 2022 का करेंट अफेयर्स है, जो आपके कांपटीटिव एग्जाम्स में मदद करेगा।
PDF Download : Click here
1. मिसेज वर्ल्ड 2022 का खिताब किस भारतीय ने जीता?
Which Indian won the title of Mrs. World 2022?
a. सरगम कौशल
b. सिनी शेट्टी
c. शिनाता चौहान
d. अंजुम प्रिया
Answer: a. सरगम कौशल
– 21 वर्ष बाद किसी भारतीय ने यह खिताब जीता है।
– सरगम कौशल ने 18 दिसंबर 2022 को मिसेज वर्ल्ड 2022 का खिताब जीता।
– उन्होंने 63 देशों के कंटेस्टेंट्स को मात देकर यह खिताब अपने नाम किया।
– इससे पहले 2001 में डॉ. अदिति गोवित्रीकर ने ये खिताब जीता था।
– मिसेज वर्ल्ड 2022 पेजेंट अमेरिका के लास वेगास में आयोजित हुआ।
– मिसेज पोलिनेशिया को फर्स्ट रनर-अप और मिसेज कनाडा को सेकेंड रनर-अप घोषित किया गया।
सरगम कौशल
– वे 32 वर्ष की है।
– जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हैं।
– इंग्लिश लिटरेचर में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है।
– विशाखापट्टनम में वे टीचर भी रह चुकी हैं।
– उन्होंने वर्ष 2018 में शादी की थी, उनके पति इंडियन नेवी में हैं।
– उन्होंने ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता और पति को दिया है।
मिसेज वर्ल्ड 2022
– मिसेज वर्ल्ड दुनिया का पहला ऐसा ब्यूटी पेजेंट है, जिसमें सिर्फ शादीशुदा महिलाएं भाग लेती है।
– इस पेजेंट की शुरुआत वर्ष 1984 में हुई थी।
– तब इस पेजेंट का नाम मिसेज अमेरिका था।
– इसे बाद में मिसेज वुमेन ऑफ द वर्ल्ड कर दिया गया था।
– वर्ष 1988 में इसका नाम मिसेज वर्ल्ड पड़ा।
– मिसेज वर्ल्ड खिताब जीतने वाली महिला श्रीलंका की रोजी सेनानायाके थीं।
————-
2. भारत ने शांति सैनिकों (peacekeepers) के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए UNSC में किस समूह को लॉन्च किया?
India launched which group in UNSC to promote accountability for crimes against peacekeepers?
a. ग्रुप ऑफ पीसकीपर
b. ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स
c. ग्रुप ऑफ सोल्जर
d. ग्रुप ऑफ पीस
Answer: b. ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स (Group of Friends to Promote Accountability for Crimes Against Peacekeepers)
– इस ग्रुप को दिसंबर 2022 में UNSC की भारत अध्यक्षता के दौरान लॉन्च किया गया।
– भारत ने सिक्योरिटी काउंसिल में 15 दिसंबर 2022 को ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स को लॉन्च किया।
– भारत के पास अब जल्द ही एक डेटाबेस होगा, जो ब्लू हेल्मेट्स (पीसकीपर्स) के खिलाफ सभी अपराधों को रिकॉर्ड करेगा।
सबसे ज्यादा भारतीय शंतिसैनिकों ने जान दी
– UN पीसकीपर्स के खिलाफ सशस्त्र समूहों, आतंकवादियों और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध बढ़े हैं।
– पिछले तीन साल में 20 देशों के 68 पीसकीपर्स की जान गई है।
– अब तक भारत के 177 पीसकीपर्स की जान गई है। यह किसी भी सैन्य-योगदान देने वाले देशों में सबसे ज्यादा है।
– हाल ही में, लेबनान में पीसकीपर्स पर हमला हुआ है।
Group of Friends to Promote Accountability for Crimes Against Peacekeepers
– भारत, बांग्लादेश, मिस्र, फ्रांस, मोरक्को और नेपाल ‘ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स’ के सह-अध्यक्ष हैं।
– ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स यूएन पीसकीपर्स के खिलाफ हिंसा के सभी कार्यों के लिए जवाबदेही को बढ़ावा देने की कोशिश करेगा।
– ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स यूएन सिक्योरिटी काउंसिल रेज्यूलेशन 2589 के प्रावधानों को लागू करने के लिए सदस्य देशों की सहमति का प्रतिनिधित्व करता है।
– विशेष रूप से सेना और पुलिस योगदान देने वाले देशों का प्रतिनिधित्व करता है।
– रेज्यूलेशन 2589 यूएन पीसकीपिंग देशों को पीसकीपर्स की देखभाल करने का जिम्मा देता है।
– इसके अलावा पीसकीपर्स के खिलाफ किए गए अपराधों पर भी ध्यान दिया जाना शामिल है।
– फ्रेंड्स का समूह प्रति वर्ष अपने सदस्यों की दो बैठकें आयोजित करेगा।
– इसके अलावा स्थायी मिशनों और अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए प्रति वर्ष एक कार्यक्रम का आयोजन और मेजबानी करेगा।
– इन बैठकों में पीसकीपर्स के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए सूचित और प्रेरित करना शामिल होगा।
– यह समूह बांग्लादेश, मिस्र, फ्रांस, भारत, मोरक्को और नेपाल के स्थायी मिशनों के प्रतिनिधियों द्वारा सह-अध्यक्षों के रूप में आयोजित और संचालित किया जाएगा।
– साथ ही इसमें सभी इच्छुक सदस्य राज्यों और संयुक्त राष्ट्र भागीदारों को शामिल किया जाएगा।
यूएन पीसकीपिंग मिशन
– स्थापना : 1948
– उद्देश्य : संघर्षशील देशों में शांति (पीस) स्थापित करना
– पिछले 70 वर्षों में, 10 लाख से अधिक पुरुषों और महिलाओं ने यूएन के इस मिशन के तहत 70 से अधिक यूएन पीसकीपिंग मिशन में सेवा की है।
– 125 देशों के 100,000 से अधिक सैन्य, पुलिस और नागरिक कर्मी वर्तमान में 14 पीस मिशंस में कार्यरत हैं।
यूएन पीसकीपिंग मिशन में कितने भारतीय?
– भारत यूएन पीसकीपिंग मिशन में सैन्य योगदान देने वाले सबसे बड़े देशों में से एक है।
– वर्तमान में, 2,385 भारतीय सैन्यकर्मियों के साथ भारत, रवांडा के बाद दूसरे नंबर पर हैं।
– इसके अलावा 30 पुलिस कर्मियों को UNMISS के साथ तैनात किया गया है।
वर्तमान में यूएन पीसकीपिंग मिशंस
– MINURSO, Western Sahara
– MINUSCA, Central African Republic
– MINUSMA, Mali
– MONUSCO, D.R. of the Congo
– UNDOF, Golan
– UNFICYP, Cyprus
– UNIFIL, Lebanon
– UNISFA, Abyei
– UNMIK, Kosovo
– UNMISS, South Sudan
– UNMOGIP, India and Pakistan
– UNTSO, Middle East
————–
3. युद्धपोत ‘INS मोरमुगाओ’ (स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर) दिसंबर 2022 में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया, इसे किस प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है?Warship ‘Mormugao’ (Stealth-Guided Missile Destroyer) commissioned into the Indian Navy in December 2022, it is developed under which project?
a. प्रोजेक्ट 75
b. प्रोजेक्ट 17A
c. प्रोजेक्ट 15A
d. प्रोजेक्ट 15B
Answer: d. प्रोजेक्ट 15B
कितने तरह के वॉरशिप
– एयरक्राफ्ट कैरियर (यह चलता फिरता एयर स्ट्रिप है)
– डिस्ट्रॉयर (विध्वंसक) – फ्रिगेट के मुकाबले डिस्ट्रॉयर लगभग डेढ़ गुना बड़ा होता है।
– फ्रिगेट (सुपरसोनिक मिसाइल से लैस)
– कॉर्वेट (छोटा युद्धपोत)
– युद्धपोत ‘INS मोरमुगाओ’ (स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर) को 18 दिसंबर, 2022 को मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में कमीशन किया गया।
– रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में इस युद्धपोत को कमीशन किया गया।
– युद्धपोत ‘मोरमुगाओ’, प्रोजेक्ट 15B का दूसरा स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर है।
– इस प्रोजेक्ट का पहला युद्धापोत INS विशाखापत्तनम है।
– ‘INS मोरमुगाओ’ का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है।
INS मोरमुगाओ
– यह प्रोजेक्ट 15B का दूसरा स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर है।
– भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने इसको डिजाइन किया है।
– गोवा में बंदरगाह शहर के नाम पर मोरमुगाओ (यार्ड नंबर 12705) की कील जून 2015 में रखी गई थी और जहाज सितंबर 2016 में लॉन्च किया गया था।
– यह जहाज 163 मीटर लंबा है और 17 मीटर चौड़ा है।
– इसका डिस्प्लेसमेंट 7,400 टन है।
– अधिकतम स्पीड 30 नोट है।
– इसमें 75% स्वदेशी सामान लगा हुआ है।
– डिस्ट्रॉयर-‘मोरमुगाओ’ मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस होगा।
– ब्रह्मोस जैसी सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस होगा।
– इसके अलावा यह स्वदेशी टारपीडो ट्यूब लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर और 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट सहित स्वदेशी हथियारों से लैस है।
प्रोजेक्ट 15B
– प्रोजेक्ट 15B के चार जहाजों के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर जनवरी 2011 में हस्ताक्षर किए गए थे।
– यह प्रोजेक्ट को पिछले एक दशक में शुरू किए गए ‘प्रोजेक्ट 15A’ के तहत बनाए गए कोलकाता-श्रेणी के डिस्ट्रॉयर पर आधारित है।
– प्रोजेक्ट 15B के पहले जहाज INS विशाखापत्तनम को नवंबर 2021 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
प्रोजेक्ट 15B के चार जहाज (पोत)
– पहला: विशाखापत्तनम
– दूसरा: मोरमुगाओ
– तीसरा: इंफाल
– चौथा: सूरत
इंडियन नेवी चीफ : एडमिरल आर हरि कुमार
—————-
4. ISRO द्वारा विकसित किस नेविगेशन सिस्टम का उपयोग नागरिक उद्देश्यों के लिए करने को L1 फ्रिक्वेंसी के सैटेलाइट लॉन्च होंगे?
Which navigation satellite system developed by ISRO will be used for civilian purposes?
a. GAGAN
b. NavIC
c. Galileo
d. GLONASS
Answer: b. NavIC
– केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार ISRO द्वारा विकसित NavIC नेविगेशन उपग्रह सिस्टम का उपयोग नागरिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
– इसके लिए ISRO अपने सभी उपग्रहों को L1 आवृत्ति (Frequency) में लॉन्च करेगा।
– जितेंद्र सिंह के अनुसार NVS-01 से अगले सभी उपग्रहों में नागरिक के नेविगेशनल यूज के लिए L1 आवृत्ति होगी।
– L1 फ्रिक्वेंसी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) में सबसे अधिक उपयोग होने वाली फ्रिक्वेंसी है।
– NavIC में L5 और S आवृत्ति का प्रयोग किया जाता है।
– उपग्रह में L1 फ्रिक्वेंसी का प्रयोग किसी स्थान को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।
– L5 आवृत्ति का उपयोग नागरिक के लिए उपग्रहों की सटीकता में सुधार के लिए किया जाता है।
– NavIC का पहली बार वर्ष 2019 में सेल फोन में उपयोग करना शुरू किया गया था।
भारत का नेविगेशन सिस्टम
– इसरो ने दो तरह के नेविगेशन सिस्टम को डेवलप किया है।
– नाविक और गगन
Navigation with Indian Constellation (NavIC)
– भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) को डेवलप किया।
– भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) सात उपग्रह से मिलकर NavIC को डेवलप किया गया।
– इनमें तीन जियोस्टेसनरी ऑरबिट में और चार जियोसिनक्रोनस ऑरबिट में स्थापित किए गए थे।
– भारत का NavIC अमेरिका के GPS, रूस के ग्लोनास और यूरोपीय गैलीलियो के समान है।
– इसका उपयोग किसी स्थान को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।
– NavIC के सात उपग्रह में से पहला उपग्रह IRNSS-1A को वर्ष 2013 में और आखिरी वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था।
– NavIC को भारत में किसी भी जगह की सटीक स्थिति की जानकारी और भारत से 1500 किमी दूर तक किसी भी लोकेशन को ट्रैक करने के लिए विकसित किया गया है।
जियोस्टेसनरी ऑरबिट और जियोसिनक्रोनस ऑरबिट
– दोनो में उपग्रह को पृथ्वी से लगभग 36000 किलोमीटर तक स्थापित किया जाता है।
– जियोस्टेसनरी ऑरबिट में उपग्रह रुके हुए नजर आते है।
– लेकिन पृथ्वी की गति से चलते है।
– यह हर समय एक ही पोजिशन पर दिखाई देते है।
– लेकिन जियोसिनक्रोनस ऑरबिट एक ही समय पर दिखाई देते है और दुबारा उसी समय अगले दिन दिखाई देते है।
जैसे- आज पृथ्वी से 1AM को उपग्रह दिखाई दिया तो कल भी इसी समय दिखाई देगा।
GAGAN
– गगन – जीपीएस-एडेड जीयो ऑगमेंटेड नेविगेशन
– गगन को AAI (एयरपोर्ट्स अथोरिटी ऑफ इंडिया) और ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) ने मिलकर डेवलप किया है।
– इसका रोल हमारे एविएशन सेक्टर के लिए है।
– इंडिया में विमानो के लैंड और टेकऑफ करने में मदद करता है।
GPS (Global Positioning System)
– इस सिस्टम का उपयोग लोकेशन पता करने के लिए किया जाता है।
– इस सिस्टम को सबसे पहले अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट के लिए वर्ष 1960 में बनाया गया था।
– उस समय इसका उपयोग सिर्फ अमेरिका की आर्मी करती थी।
– वर्ष 1995 से इसका उपयोग सभी के लिए शुरू किया गया।
– इसका सबसे ज्यादा उपयोग रास्ता ढूढने के लिए किया जाता है।
– आज यह टेकनोलॉजी सभी क्षेत्र में उपयोग होती है
जैसे- मोबाइल, हवाई जहाज, रेल, बस, गाडियों आदि में
————–
5. अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस कब मनाया जाता है?
When is International Human Solidarity Day celebrated?
a. 23 दिसंबर
b. 22 दिसंबर
c. 21 दिसंबर
d. 20 दिसंबर
Answer: d. 20 दिसंबर
– अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस हर वर्ष 20 दिसंबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है।
– दुनिया में एकता का संदेश देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2005 में इसकी घोषणा की।
– पहली बार इसका आयोजन वर्ष 2006 में हुआ था।
——————
6. तंदूर तूर दाल (रेडग्राम) के लिए किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को GI टैग मिला?
Which State/UT got the GI tag for Tandoor Toor Dal (Redgram)?
a. तमिलनाडु
b. गोवा
c. असम
d. तेलंगाना
Answer: d. तेलंगाना
– मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मंत्री पीयूष गोयल ने 13 दिसंबर को ट्विटर में GI सर्टिफिकेट शेयर किया।
– इस सर्टिफिकेट के अनुसार तेलंगाना की तंदूर तूर दाल (रेडग्राम) को GI (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) का टैग दिया गया।
तंदूर तूर दाल (रेडग्राम)
– यह एक स्थानीय अरहर दाल की किस्म है।
– यह तेलंगाना के तंदूर और उसके आप-पास उगाई जाती है।
– इसमें लगभग 24% प्रोटीन होता है, जो अन्य अनाज से लगभग तीन गुना है।
तेलंगाना
– राजधानी – हैदराबाद
– राज्यपाल – तमिलिसै सौंदरराजन
– मुख्यमंत्री – K चंद्रशेखर राव
————–
7. गमोचा (तौलिया) के लिए किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को GI टैग मिला?
Which State/UT got GI tag for Gamocha (towel)?
a. तमिलनाडु
b. गोवा
c. असम
d. तेलंगाना
Answer: c. असम
– मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मंत्री पीयूष गोयल ने 13 दिसंबर को ट्विटर में GI सर्टिफिकेट शेयर किया।
– गमोचा असम की संस्कृति और पहचान का प्रतीक है।
– केंद्र सरकार ने आवेदन के पांच साल बाद GI टैग दिया।
– आवेदन वर्ष 2017 में किया गया था।
असम
– राजधानी – दिसपुर
– राज्यपाल – जगदीश मुखी
– मुख्यमंत्री – हिमंता बिस्वा सरमा
————-
8. रक्तसे कारपो खुबानी के लिए किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को GI टैग मिला?
Which State/UT got the GI tag for Raktse Carpo Apricot?
a. लद्दाख
b. गोवा
c. असम
d. तेलंगाना
Answer: a. लद्दाख
– मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मंत्री पीयूष गोयल ने 13 दिसंबर को ट्विटर में GI सर्टिफिकेट शेयर किया।
– रक्तसे कारपो खुबानी की विशेषताओं के लिए इसे GI टैग मिला
रक्तसे कारपो खुबानी
– खुबानी छोटे, सुनहरे नारंगी रंग के फल है।
– इनके फल मे बीज भी खाए जाते है।
– स्वाद और दिखने में बादाम के समान है।
यह फल किन-किन बिमारियों को खिलाफ काम करता है
– कैंसर में
– कब्ज में
– हृदय को स्वास्थ रखने में
– एनीमिया के उपचार में
– अस्थमा से राहत में
– यह आंखों के लिए फायदेमंद
– हड्डी को स्वास्थ्य रखने में
————–
9. सफेद प्याज के लिए महाराष्ट्र के किस शहर को GI टैग मिला?
Which city of Maharashtra got GI tag for white onion?
a. अलीबाग
b. नासिक
c. औरंगाबाद
d. कोल्हापुर
Answer: a. अलीबाग
– मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मंत्री पीयूष गोयल ने 13 दिसंबर को ट्विटर में GI सर्टिफिकेट शेयर किया।
– महाराष्ट्र के अलीबाग को सफेद प्याज के लिए GI टैग मिला।
– सफेद प्याज की विशेषताओं के कारण इसको GI टैग मिला है।
सफेद प्याज की विशेषता
– यह औषधीय गुणों से भरपूर है।
– यह इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करती है।
– यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
– यह डायबिटीज के इलाज में मदद करता है।
– GI (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सरकार ने तीन साल के लिए 75 करोड़ रुपये के खर्च की मंजूरी दी है।
GI Tag संख्या में शीर्ष राज्य
1. कर्नाटक
2. तमिलनाडु
3. केरल
4. उत्तर प्रदेश
5. महाराष्ट्र
GI टैग कौन देता है?
– मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के अंतर्गत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड की ओर से GI टैग दिया जाता है।
– किसी प्रोडक्ट के लिए GI टैग प्राप्त करने के लिए चेन्नई स्थित GI डेटाबेस में आवेदन करना होता है।
– ये इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट के अंडर है, जो पूरे देश में सिर्फ चेन्नई में ही होता है।
GI TAG क्या है?
– GI का मतलब Geographical Indication यानी भौगोलिक संकेत।
– जीआई टैग (GI Tag) एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है।
—————-
10. राज्यसभा ने ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 को पारित किया, इस विधेयक में किस प्रावधान को अनिवार्य करने का प्रावधान है?
Rajya Sabha passed the Energy Conservation (Amendment) Bill 2022, which provision has been made mandatory in this bill?
a. सोलर पैनल का उपयोग
b. कोयले और पेट्रोल के उपयोग में रोक
c. जीवाश्म स्रोतों के उपयोग में रोक
d. गैर-जीवाश्म स्रोतों का उपयोग
Answer: d. गैर-जीवाश्म स्रोतों का उपयोग
– राज्यसभा ने 12 दिसंबर को ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में संशोधन करने के लिए विधेयक पारित किया।
– यह विधयेक ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 है।
– ग्रीन ऊर्जा के लिए बड़ी बिल्डिंग में गैर-जीवाश्म (नॉन फॉसिल फ्यूल) स्रोतों के उपयोग को मैनडेटरी किया गया।
– बिजली मंत्री राजकुमार सिंह के अनुसार यह ऊर्जा के ग्रीन स्रोतों के लिए भारत के प्रयासों को गति देगा।
– इससे भारत ग्रीन ऊर्जा की तरफ तेजी से आगे बढ़ेगा।
किस तरह की बिल्डिंग में अनिवार्य होगा नॉन फॉसिल फ्यूल का उपयोग
– इसका उद्देश्य बड़े आवासीय भवनों को न्यूनतम 100 किलोवाट के कनेक्टेड लोड या 120 किलोवोल्ट एम्पीयर की डिमांड वाले भवनों को ऊर्जा संरक्षण व्यवस्था के अंदर लाना है।
– इससे अगर राज्य चाहें तो कनेक्टेड लोड और कॉन्ट्रैक्ट डिमांड को कम कर सकता है।
– इसे केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह ने पेश किया और यह राज्यसभा से पास भी हो गया।
– यह अगस्त के महीने में लोकसभा से पारित हो चुका था।
– ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 को 2010 में भी संशोधिन किया गया था।
ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022
– केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह ने इस विधेयक को तीन अगस्त 2022 को लोकसभा में पेश किया था।
– इसे आठ अगस्त 2022 को लोकसभा से पारित किया गया था।
– अब इसे राज्यसभा में पारित किया गया।
उर्जा संरक्षण में केंद्र सरकार की किन क्षेत्रों में शक्तियों का विस्तार होगा?
– गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की बाध्यता सुनिश्चित करने में
– कार्बन ट्रेडिंग में
– भवनों के लिये ऊर्जा संरक्षण कोड के रूल बनाने में
– वाहनों एवं जलयानों के लिये मानदंड तय करने में
– राज्य विद्युत् विनियमन आयोग की शक्तियों में
– ऊर्जा एफिशिएन्सी ब्यूरो की गवर्निंग काउंसलिंग में
इसे क्यो पारित किया गया?
– कार्बन ट्रेडिंग और डीकार्बोनाइजेशन को प्रमोट करने में मदद करेगा।
– इससे ग्रीन ऊर्जा के उपयोग को प्रमोट करने में सरकार को मदद मिलेगी।
– यह विधेयक जलवायु परिवर्तन से संबंधित सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।
– इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र का ग्रीन ऊर्जा और ऊर्जा एफिशिएन्सी के क्षेत्र में पार्टिसिपेसन को बढ़ाना है।
– इससे केंद्र सरकार को किसी बिल्डिंग के लिए ऊर्जा संरक्षण कोड बनाने का अधिकार प्राप्त होगा।
– इन कोड से ग्रीन बिल्डिंग के मानक तय किए जा सकेगें।
– मतलब किस बिल्डिंग को ग्रीन बिल्डिंग कहा जाए किसको नहीं।
– किसी भी क्षेत्र में जरूरी मानक को फॉलो न करने वालों को दंडित किया जाएगा।
– सरकार का उद्देश्य चीन के साथ सौर पैनल्स के आयात को कम करना भी है।
कार्बन ट्रेडिंग
– कार्बन ट्रेडिंग का मतलब है कार्बन डाइऑक्साइड का व्यापार।
– इसका सुझाव कार्बन डाइआक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने लिए क्योटो ट्रिटी में दिया गया था।
– इसमें देशों या कम्पनियाँ को कम प्रदूषण फैलाने वाली तकनीकी को विकसित करने में पैसे लगाने के लिए कहा गया।
– अगर वह ऐसा न कर पाए तो कम प्रदूषण फैलाने वाले देश या कम्पनी से कार्बन क्रेडिट खरीद ले।
– इसी सिस्टम को कार्बन ट्रेडिंग कहा गया।
– इसमें देश और कम्पनी को एक तय मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन करने की सीमा दी जाती है।
– यदि वह उससे ज्यादा उत्सर्जन करता है, तब उसे किसी अन्य देश या किसी कम्पनी जिसने कम उत्सर्जन किया हो उससे कार्बन क्रेडिट खरीद सकता है।
– यदि अधिक उत्सर्जन करने वाला देश या कम्पनी चाहे तो कम उत्सर्जन करने वाले देश या कम्पनी पर निवेश भी कर सकता है।
– देश में कार्बन उत्सर्जन की सीमा यूनाईटेड नेशनस फ्रेम वर्क कनेक्शन आन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) तय करता है।
ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001
– यह अधिनियम ऊर्जा एफिशिएन्सी और सरंक्षण के लिए लाया गया था।
– इससे केंद्र और राज्य को ऊर्जा सरंक्षण के लिए कानूनी तौर से नियम बनाने का अधिकार मिला था।
————
11. चीन और उत्तरी कोरिया के बढ़ते खतरे के कारण नई राष्ट्रीय सुरक्षा योजना के तहत किस देश ने अपने रक्षा बजट को दोगुने से ज्यादा बढ़ाया?
Which country has more than doubled its defense budget as part of a new national security plan due to the growing threat from China and North Korea?
a. दक्षिण कोरिया
b. जापान
c. ताईवान
d. हांगकांग
Answer: b. जापान
– चीन की विस्तार वादी नीतियों और उत्तरी कोरिया के खतरे के कारण जापान ने अपना रक्षा बजट दोगुने से ज्यादा बढ़ाया।
– जापान दूसरे विश्व युद्ध के बाद से शांति के रास्ते पर चल रहा है।
– उसने सिर्फ अपनी इकोनॉमी को बेहतर करने पर ध्यान दिया, और अपनी इकोनॉमी को वर्ष 2022 में लगभग पांच ट्रिलियन तक ले गया।
– जापान दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद तीसरी बड़ी इकोनॉमी है।
– लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह से अमेरिका के सहारे रहा।
– दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराया था।
– युद्ध के समाप्त होने के बाद अमेरिका ने जापान के साथ समझौता किया कि जापान की पूरी सुरक्षा अमेरिका की सेना करेगी।
– इसलिए जापान ने कभी सैन्य शक्तियों को बढ़ाने की कोशिश नहीं की।
– लेकिन अब युक्रेन युद्ध के बाद बहुत कुछ बदला है।
– साथ ही चीन की विस्तारवादी नीतियां और उत्तरी कोरिया का खतरा लगातार दुनिया के देशों में चिंताएं बनाए हुए है।
– इसलिए जापान अपनी सुरक्षा के लिए अब रक्षा क्षेत्र में भी काम करेगा।
अपनी रक्षा के लिए जापान के नए कदम
– जापान ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में बदलाव किया।
– उसकी कैबिनेट ने 16 दिसंबर को तीन रक्षा से संबंधित डॉक्यूमेंट को अप्रूव कर दिया।
1. नेशनल सेक्यूरिटी स्ट्रेटजी
2. नेशनल डिफेंस प्रोग्राम गाइडलाइन
3. मिड-टर्म डिफेंस प्रोग्राम
– जापान ने अपने रक्षा बजट को दोगुने से ज्यादा बढ़ाया।
– वह अपने देश के डिफेंस सिस्टम को हमले के समय जवाबी हमला करने में सक्षम बनाने की कोशिश करेगा।
– जापान के संविधान के अनुसार इसको देश के लिए निषेध माना गया है।
– क्योकि अगर आपके पास ऐसा सिस्टम होता है, तो आपके दूसरे देशों के साथ विवाद रहेंगें।
– अगर यह सिस्टम नहीं रहता है तो आप शांति के रास्ते पर ही आगे बढेंगें।
– लेकिन जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा का कहना है कि हमें युक्रेन से सीख लेते हुए अपने डिफेंस सिस्टम को बेहतर बनाना ही होगा।
– क्योंकि जब जापान का संविधान बना था, उस समय अलग स्थिति थी और अब अलग है।
– प्रधानमंत्री के अनुसार जापान अपने डिफेंस सिस्टम को ऐसा बनाएगा जिससे अगले दस वर्ष तक उस पर कोई खतरा न रहें।
– इसके साथ ही वह उसे अप्डेट करता रहेगा।
– इस निर्णय से जापान अपनी वर्ष 1956 की पॉलिसी को खत्म कर रहा है, जिसमें डिफेंस सिस्टम और मिसाइस को न रखने की बात कही गई थी।
क्यों जरूरत पड़ी
– जापान के पास वर्तमान डिफेंस सिस्टम और मिसाइल सिस्टम अभी के खतरों से लड़ नहीं पाएगा।
– नार्थ कोरिया समय-समय पर अपने मिसाइल और डिफेंस सिस्टम को टेस्ट करता रहता है।
– लेकिन उसने एक मिसाइल जापान के ऊपर से टेस्ट की।
– साथ ही चीन की विस्तार नीति भी जापान के लिए खतरा बन सकती है।
– चीन ने भी एक मिसाइल का टेस्ट किया जो जापान के साउथ आइलैंड में गिरा।
– जापान के पास ऐसा कोई मिसाइल सिस्टम नहीं जो इन सब घटनाओं को रोक सकें।
जापान कितना डिफेंस खर्च करेगा
– वर्ष 2027 तक जापान 320 बिलियन डॉलर का खर्च करेगा।
– जापान की GDP के अनुसार यह लगभग 2% है।
– यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा डिफेंस खर्च होगा।
– जापान अगले पांच साल में 37 बिलियन डॉलर का खर्च अपने लॉन्ग रेंजेस मिसाइल सिस्टम को डेवलप करने के लिए करेगा।
– जापान अमेरिका से टोमाहॉक्स और हवा से सतह जाइंट स्टैण्डऑफ मिसाइल खरीदेगा।
– जापान की कंपनी मित्शूबिशी भी डिफेंस सिस्टम को बेहतर करने में काम करेगी।
– जापान, इटली और ब्रिटेन मिलकर अगली पीढ़ी का F-X लड़ाकू जेट बना रहें है, जिसे जापान वर्ष 2035 तक तैनात करेगा।
साइबर सुरक्षा के लिए भी जापान काम करेगा
– जापान की सरकार के अनुसार अपने देश को साइबर सुरक्षा से बचाने के लिए भी वह अगले पांच साल में लगभग 58 बिलियन डॉलर खर्च करेंगे।
जापान चीन के खतरे के लिए क्या करेगा
– जापान के अनुसार युक्रेन युद्ध के बाद से जापान के रीजन में काफी कुछ बदल गया है।
– इसलिए जापान सबसे बड़ा खतरा चीन की विस्तार वादी नीति को मानता है।
– इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार जापान मिसाइल या किसी बड़े डिफेंस सिस्टम को टेस्ट करने के लिए नॉर्थ कोरिया को रोकने के नाम पर काम करेगा।
– इन सब घोषणा के बाद कुछ विरोधी और पब्लिक सरकार के खिलाफ भी हो गई।
– आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार जापान के शांति के खिलाफ काम कर रही है।
– लेकिन सरकार का कहना है कि हम अभी भी शांति के लिए और देश की इकोनॉमी को बढ़ाने के लिए ही काम करेंगे।
– लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए अपने डिफेंस सिस्टम को भी बेहतर करेंगे।
जापान
– राजधानी – टोक्यो
– सम्राट – नारुहितो
– प्रधानमंत्री – फुमियो किशिदा
– मुद्रा – जापानी येन
————
12. किस देश की राजधानी में वर्ष 2025 के बाद बनने वाले नए घरों के लिए सोलर पैनल अनिवार्य कर दिया गया?
In which country’s capital, solar panels have been made mandatory for new homes to be built after 2025?
a. अमेरिका
b. जापान
c. श्रीलंका
d. भारत
Answer: b. जापान
– जापान की राजधानी टोक्यो की विधानसभा ने एक नए नियम को पारित किया।
– इस नियम के अनुसार अप्रैल 2025 के बाद बनने वाले घरों में सौर ऊर्जा पैनल लगाया जाना कम्पलसरी कर दिया।
– इस नए नियम के अनुसार 2,000 वर्ग मीटर तक के घरों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (सोलर पैनल मुख्यतः) को लगाना होगा।
– टोक्यो के गवर्नर युरिको कोइके के अनुसार शहर में केवल 4% इमारतों में सोलर पैनल लगाए जा सकते है। नए मकान इस तरह से बनाए जाएंगे, ताकि सोलर पैनल लग सके।
– टोक्यो मेट्रोपॉलिटन सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को आधा करना है।
सोलर पैनल को कम्पलसरी करने का कारण
– जापान दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है।
– इसने वर्ष 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है।
– कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए सोलर पैनल लगाने का निर्णय लिया गया है।
– भारत भी अपने देश में सोलर पैनल सिस्टम को प्रमोट कर रहा है।
– भारत ने वर्ष 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है।
– सोलर सिस्टम को प्रमोट करने के लिए भारत वर्ष 2015 से प्रयास कर रहा है।
– इसके लिए भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर वर्ष 2015 में अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबंधन बनाया था।
– वर्ष 2022 तक 100 से अधिक देश इसके सदस्य बन चुके है।
– इसका मुख्यालय भारत के हरियाणा राज्य में है।
कार्बन न्यूट्रल क्या है?
– कार्बन न्यूट्रल का मतलब वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड की उतनी मात्रा को अलग-अलग तरीकों से हटाने से है, जितनी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा हो।
जापान
– राजधानी – टोक्यो
– मुद्रा – जापानी येन
– सम्राट – नारुहितो
– प्रधानमंत्री – फुमियो किशिदा
PDF Download : Click here